मासूम भावना
मासूम भावना
हरदम यहांँ कत्ल हुआ ,
मेरी मासूम भावनाओं का।
गवाह है मेरी दो आंँखें ,
हरदम जो रोई हैं यहांँ।
बात-बात पर रोका टोकी ,
फर्क समझ ना पाई ।
खानपान का फर्क हुआ,
गवाह है मेरी दो आंँखें ।
बात बात पर ताने बोली,
ऐसे ना करो वैसे ना करो।
क्या सिखाया मां बाप ने ,
बात-बात पर है दबाया।
कत्ल हुआ है मेरी भावनाओं का,
गवाह हैं मेरी दो आंँखें।
मैंने खुद को रोज मरते देखा,
सपनों का खून होते देखा ।
गवाह है मेरी दो आंँखें।
आंँसू की धार बहाई है ,
आंँसू पोंछ आंँचल से अपने।
कभी वह मुस्कुराई है ,
कहा किसी से कुछ भी नहीं,
अंदर अंदर मरते देखा।
कत्ल हुआ है मेरी भावनाओं का ,
गवाह हैं मेरी दो आंखें।
सबको उंगली उठाते देखा,
दूसरों के लिए खुद को मरते देखा।
कहा किसी से कुछ नहीं ,
अपनी भावनाओं को मरते देखा।
गवाह है मेरी दो आंँखें
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
Suryansh
29-Sep-2022 06:23 AM
बहुत ही उम्दा
Reply
Swati chourasia
20-Sep-2022 01:21 PM
Very nice
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Reena yadav
19-Sep-2022 08:46 PM
👍👍
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